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शब्द बोलते हैं
शब्द बोलते हैं
चीखते हैं
चिल्लाते हैं
रोते हैं
सो जाते हैं
अचानक हड़बड़ाकर
जाग भी तो जाते हैं .
लगते हैं .
उठाते हैं .
पहाड़ पे चढ़ाते हैं .
सपाट हो जाते हैं
काँटे बो जाते हैं
चुभते हैं
काटते हैं
सहलाते हैं
सहम जाते हैं
धीमे से फ़ूस फुसाते हैं
शहद घोलते हैं
शब्द बोलते हैं
2 comments:
सचमुच यह शब्द बोल उठे .. ख़ूबसूरत लिखा है
सचमुच, ये शब्द ही तो हैं जो सब खुद को व्यक्त करने का जरिया बन जाते हैं।
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