Sunday, March 4, 2007

आप बताइए !!


ज़्यादा नहीं बस कुछ ही दिन मे मैं हाज़िर हो रहा हूँ एक नये गुम्मे ( जिसे हिंदी मे पत्थर कहते हैं और मोहल्ले मे गुम्मा ) के साथ , करेंगे अपने मोहल्ले की बात , उत्साह वर्धन से काम नही चलेगा बंधुओं , अब हम बहस भी करेंगे और कॉफी वग़ैरह भी पी ली जाएगी. कभी सोचता हू की बूद्दी जीविओं के ब्लॉग गमन और मनन और चलन के साथ खेमों की ख़बर लूं तो कभी मन करता है कि छोड़ो रहने दो क्या करेंगे हम तो बस यही अपने मुहल्ले मे ही ख़ुश हैं और क्या करेंगे कॉफी शोफ़ी पीकर .. अगर बजार मे आपको कॉफी का कोई नया ब्रांड नज़र आ जाए तो ?

नही तो भई हमारे लिए तो अगम के घर से सामने वाला हैंड पंप ही बहुत बड़ी चीज़ है , शिव ने अपना घर क्यों छोड़ दिया इसमे भी कई राज छिपे हैं . वैसे जंगल जलेबी यां अभी भी बारह पत्थर के एक किनारे क़तार से लगी हुई है और गाहे बगाहे कोई 8 से 10 साल का लड़का उन्हे तोड़ने मे जुटा हुआ दिख जाता है , चलो उनमे तो कोई ज़िंदा है . .

ख़ैर , आप फ़ैसला कीजिए . या आप कुछ सुझाइए कि मुहल्ले की कैसी सी रिपोर्ट जानना चाहेंगे ? या कैसी कॉफी पिएँगे ?

2 comments:

अनूप शुक्ल said...

भाई मिसिर जी हम तो यह भी चाहते हैं कि आप लोगों की खोज-खबर भी लेते रहें। सामाजिकता बनी रहे!

Jitendra Chaudhary said...

भैया जो लिखोगे, वही पढेंगे
लेकिन जोड़ने वाली बात करना, तोड़ने वाली नही।

हम जानते है बहुत कुछ है अयोध्या में।