
बच्चों को हम प्यार करते हैं , हांथो की सबसे नरम छृअन से सह्लात हैं कि कहीँ... कही उसे रगड़ न लग जाये। दोनो हांथो से उसे हवा मे पकड़कर उछालते हैं और जब वह किलकारी मारते हुए हमारे हांथो में गिरते हैं तो कितना अच्छा लगता है। और उन्ही को पेट मे रहते हुए क़त्ल कर दिया जाता है। कितना क्रूर विचार है मासूमो के क़त्ल का....!! और जरा सोचिये कि कितने क्रूर होंगे वो डॉक्टर जो ये काम करते होंगे। बल्कि उनमे और सुपारी लेकर क़त्ल करने वालों मे कोई अंतर है क्या ? ये लोग भी भाडे के सुपारी किलर हैं जो मासूमो का क़त्ल करते हैं। लेकिन इनसे भी ज्यादा दोषी तो वह माँ बाप हैं जो क़त्ल का इरादा रखते हैं। क्या ऐसे अपराध के लिए उन सबको जो भी इसमे इन्वोल्व हैं उन्हें कड़ी से कड़ी सजा नही मिलनी चाहिऐ?
1 comment:
बहुत अच्छा सोचते हैं आप। बधाई
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