Saturday, June 16, 2007

मुझे भी आप माफ़ ही करें नारद जी

नारद अब जर्मनी बन गया है और उसे लोग तानाशाह। कल को मैं भी कुछ लिखूंगा और नारद जी मुझे भी बाहर कर देंगे। मैं नारद के कारण नही हूँ और न ही मुझे नारद के कारण समझा जाय। नारद के लोग जो चाहे मन मानी करें लेकिन मुझे बख्श दें । नारद जी , मुझे भी आप माफ़ ही करें। मैं भी आपके निर्णय से असहमत हूँ। विरोध स्वरूप मेरा चिठ्ठा भी आप अपने यहाँ से बाहर कर दें। मैं यहाँ सेंसर शिप लगवाने नही आया। जो मन करेगा लिखूंगा और नही मन करेगा तो नही लिखूंगा। आख़िर चिठ्ठा किसी की निजी सम्पत्ति होती है और उसमे हस्तक्षेप का अधिकार नारद क्या ब्रम्हा को भी नही दिया जा सकता ।

3 comments:

ghisi piti said...

सही कह रहे हैं । नारद अब तानाशाहों का अड्डा बनता जा रहा है। अखिर नारद पर पहले भी गाली गलौज हुई थी लेकिन यह तो एक तीर से कई शिकार करने की कोशिश है। नारद के साथ अब नही रहना। तानाशाही नही चलेगी । अनूप शुक्ल हाय हाय !! जितेंद्र की तानाशाही नही चलेगी । नही चलेगी नही चलेगी !!

अनूप शुक्ल said...

विनोदजी आप लिखते रहो। जो मन आये वह। आपकी स्वतंत्रता पर कौन बंधन लगा रहा है। लिखने की स्वतंत्रता तो राहुल को भी है लेकिन उनके एक ब्लाग को नारद पर दिखाया नहीं जा रहा।

अफ़लातून said...

विनोद , कृपया अपने चिट्ठे का feed url चिट्ठे पर बतायें ताकि चिट्ठे को नारद पर आपकी गैरमौजूदगी के बावजूद गूगल रीडर पर पढ़ा जा सके ।